नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर व्यवस्थाओं को सरल बनाना वित्त वर्ष 2025 के केंद्रीय बजट का फोकस था।
राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने राष्ट्रीय राजधानी में उद्योग संगठन एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) द्वारा आयोजित बजट पश्चात संवाद में कहा कि सरकार का लक्ष्य करों में वृद्धि या कमी करना नहीं है, बल्कि व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए करों के भुगतान की प्रक्रिया को सरल बनाना है, ताकि देश में व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा मिले। उन्होंने कहा कि बजट का फोकस सरलीकरण पर था क्योंकि उद्योग जगत ने भी यही मांग की थी।
सीबीडीटी के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने फोरम में कहा, “प्रत्यक्ष करों से संबंधित बजट में पेश किए गए प्रावधानों को मोटे तौर पर सरलीकरण, मानकीकरण और अनुपालन में वर्गीकृत किया जा सकता है। कर प्रशासन का उद्देश्य जुर्माना और अभियोजन नहीं है, बल्कि करदाताओं को सुविधा प्रदान करना है।”
सीबीडीटी अध्यक्ष ने यह भी कहा कि पिछले वर्ष 85 मिलियन से अधिक आयकर रिटर्न और लगभग 7.2 मिलियन अद्यतन रिटर्न दाखिल किए गए, जो अनुपालन में बढ़ी आसानी का संकेत है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था को सरल बनाने से राजस्व योगदान बढ़ेगा तथा कारोबार में आसानी होगी, जिससे विकास और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
‘सरलीकृत कराधान, युक्तिसंगत दरें वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी उद्योगों को सुनिश्चित कर सकती हैं’
उन्होंने कहा, “सरकार का लक्ष्य 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। इस दृष्टिकोण से बजट को देखने पर संकेत स्पष्ट है कि हमें सरलीकृत कराधान और युक्तिसंगत दरों की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे उद्योग वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बने रहें।”
राजस्व सचिव मल्होत्रा ने कार्यक्रम में कहा कि वित्त मंत्रालय ने अभी यह निर्णय नहीं लिया है कि आयकर अधिनियम की समीक्षा, जिसकी घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सप्ताह के प्रारंभ में अपने बजट भाषण में की थी, के परिणामस्वरूप नया कानून बनेगा या नहीं।
कार्यक्रम में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि कराधान की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के लिए आयकर अधिनियम की भी समीक्षा की जाएगी।
सीबीडीटी के अग्रवाल ने समीक्षा के बारे में कहा, “यहां अंतर्निहित विचार यह है कि हम कैसे इसे तर्कसंगत बना सकते हैं और कैसे करदाता के लिए अधिनियम के माध्यम से वास्तव में नेविगेट करना सरल बना सकते हैं और जहां तक संभव हो, किसी पेशेवर की मदद या सहायता लेने की उनकी आवश्यकता को कम से कम किया जा सकता है, कम से कम आम करदाता के लिए।”
केंद्रीय बजट में केंद्र सरकार ने पूंजीगत लाभ कर में बड़े बदलाव किए हैं, जिसमें दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर (LTCG) को 10% से बढ़ाकर 12.5% और अल्पावधि पूंजीगत लाभ (STCG) कर को 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया है। ये दोनों कर इक्विटी और इक्विटी समर्थित म्यूचुअल फंड पर लागू होते हैं।
मल्होत्रा ने कहा, “यह एक सरलीकरण उपाय है, न कि कर बढ़ाने, राजस्व बढ़ाने या राजस्व बढ़ाने वाला उपाय। राजस्व में 10% से 12.5% की मामूली वृद्धि होगी और जटिलता के बोझ से बचकर हम सभी को लाभ होगा।”
सरकार की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में एक प्रमुख संशोधन जीएसटी अधिनियम में धारा 11ए को जोड़ना है, जो सरकार को सामान्य रूप से प्रचलित प्रथाओं के कारण नहीं लगाए गए जीएसटी की वसूली को माफ करने की अनुमति देता है।
राजस्व सचिव मल्होत्रा ने कहा, “जीएसटी अधिनियम में धारा 11ए को शामिल करने का प्रस्ताव अस्पष्टताओं को दूर करने के उद्देश्य से है और इसका प्रयोग केवल असाधारण मामलों में ही किया जाना चाहिए, न कि इसे सामान्य बात बना दिया जाना चाहिए।”
सीबीआईसी के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी संग्रह में वृद्धि आर्थिक वृद्धि का संकेत है। उन्होंने कहा, “पिछले वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्व वृद्धि ने जीडीपी वृद्धि को पीछे छोड़ दिया है, जो जीएसटी कर व्यवस्था में निहित दक्षता और बेहतर अनुपालन स्तरों को दर्शाता है।”
उन्होंने कहा, “अगले छह महीनों में (वस्तु एवं सेवा कर की) दर संरचना की व्यापक समीक्षा की जाएगी, जिसका उद्देश्य व्यापार को आसान बनाने, शुल्क व्युत्क्रमण को दूर करने तथा विवादों को कम करने के लिए दर संरचना को युक्तिसंगत और सरल बनाना होगा।”
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