शब्द: अल कायदे के जिस ख़ूंखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने 2011 में साल 2011 में मार गिराने का दावा किया था। अब करीब 13 साल बाद पाकिस्तान ने उसे लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की ओर से ओसामा बिन लादेन पर लगाए गए आरोप में हैरान कर देने वाली बात सामने आई है। बता दें कि अमेरिका ने लादेन को 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में हवाई हमले में डकैती का दावा किया था।
लाडने को लेकर अब पाकिस्तान के पूर्व शासक यूसुफ रजा गिलानी ने नया दावा किया है। उनका कहना है कि 2011 में अल कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन के अमेरिकी सील कमांडो के हाथ एबटाबाद में मारे जाने से बहुत पहले ही अमेरिका की विदेश मंत्री कोंडोलिजा राइस ने अपनी सरकार के साझे में पाकिस्तान में दुश्मनी होने की बात कह दी थी। गिलानी 2008 से 2012 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे और ओसामा के राष्ट्रपति पद पर थे। राइस ने अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ चार बार पाकिस्तान की यात्रा की। दिसंबर 2008 के पहले सप्ताह में उनकी मुलाकात गिलानी से हुई थी।
गिलानी ने कही ये बात
राइस ने 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के तुरंत बाद भारत से बातचीत के बाद अचानक हुए आतंकवादी हमले को अंजाम दिया। पाकिस्तान में आठ फरवरी को आम चुनाव के लिए होने वाले मतदान से पहले जियो न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में गिलानी ने कहा, ”कोंडोलिजा राइस ने पाकिस्तान पर हमला किया था और उन्हें खतरा था कि वह (बिन लादेन) पाकिस्तान में है।” ‘ गिलानी से जब पूछा गया कि उन्होंने, राइस की इस जानकारी पर क्या प्रतिक्रिया दी तो पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ”जब उन्होंने इसे साझा किया, तो मैंने कहा कि यह दुष्प्रचार है।” दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा में से एक लादेन दो मई, 2011 को अमेरिकी नौसेना के सील कमांडो ने एक गुप्त अभियान में मार गिराना शुरू किया था।
इस देश का मूल निवासी लादेन था
सऊदी मूल का 54 साल का तानाशाह स्टालिन पाकिस्तान के खबर पख्तूनख्वा प्रांत के एबटाबाद शहर में छिपा हुआ था। पूर्व प्रधानमंत्री से जब पूछा गया कि क्या लादेन के अज्ञात शहर एबटाबाद में होने की जानकारी ने उन्हें स्तब्ध कर दिया तो गिलानी ने कहा, ”यह दुनिया की खुफिया विफलता थी।” जानकारी अमेरिकी खुफिया बिशप की है जो राइस जारी कर रही है? इसके जवाब में गिलानी ने कहा, ”अगर उनके पास कोई सबूत था तो उन्हें हमें देना चाहिए।” उनकी मदद की वजह यह है कि हम आतंकवादियों के खिलाफ थे और हम आतंकवादियों के खिलाफ युद्ध लड़ रहे थे और कई बेकार सैनिक और नागरिक शहीद हो गए और हमें अरबों डॉलर का भी नुकसान हुआ।’ (भाषा)