कजान(रूस): 16 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बुधवार को हुई बातचीत में करीब 4 साल से भारत-चीन के बीच जमी रिश्ते की बर्फ को काफी हद तक बदल दिया गया है। इस दौरान दोनों देशों के बीच जून 2020 में हुई गलवान घाटी में हिंसा के बाद चल रही एलसी विवाद का समाधान भी खुल गया है। मोदी और शी जिनिपंग ने पूर्वी तट पर वास्तविक रेखा (एलएसी) पर नियंत्रण और सैनिकों को पीछे हटाने के लिए भारत-चीन का बुधवार को समर्थन किया है। दोनों नेताओं ने इस एलबम में विभिन्न समूह वार्ता तंत्र को बहाल करने के निर्देश जारी किए हैं, जिसमें 2020 के सैन्य समर्थकों से प्रभावित शामिल को सामान्य बनाने के प्रयास का संकेत दिया गया है।
बता दें कि ब्रिक्स समिट कॉन्फ्रेंस से इंटरनेट पर मोदी-जिनपिंग बातचीत करीब 50 मिनट तक चली। बैठक में मोदी ने शेयरों और बाजारों में शांति और स्थायित्व को तोड़ने के तरीके बताए, लेकिन इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि एकता विश्वास, एक-दूसरे का सम्मान और आपसी सहमति का आधार बनना चाहिए। मोदी और शी ने करीब पांच साल में अपनी पहली सामूहिक बैठक में सीमा मुद्दे पर रुकी पोस्ट विशेष वार्ता को जल्द बहाल करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि यह सीमा पर शांति एवं स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 2020 में पूर्वी इंडोनेशिया सीमा विवाद उत्पन्न होने के बाद दोनों देशों के बीच स्तर पर यह पहली बैठक थी।
वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भारत-चीन संबंध महत्वपूर्णः मोदी
विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों नेताओं ने मानक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से समुच्चय को आगे बढ़ाया, लक्ष्य संवाद को बढ़ाया और विकास के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सहयोग की संभावना की आवश्यकता पर जोर दिया। बातचीत के बाद मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”भारत-चीन संबंध दोनों देशों के लोगों और क्षेत्रीय और विश्व शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।” उन्होंने कहा, ”पारस्पर विश्वास, सम्मान और अल्पसंख्यक समुदाय। ” विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस वार्ता में कहा कि दोनों नेताओं ने उल्लेख किया कि भारत-चीन सीमा विवाद का हल निकाला जाए और प्रायद्वीप में शांति व स्थिरता कायम रखने के लिए विशेष सचिव को एक अहम भूमिका निभाई जाए। होगी। मोदी और शी ने विशेष उद्यमों को शीघ्र बैठक करने और अपने प्रयास को जारी रखने के निर्देश दिये।
पूर्वी स्वतंत्रता में भारत-चीन विवाद सौहार्दपूर्ण संबंध
मिस्री ने कहा, ”हम विशेष समिति की अगली बैठक में एक उपयुक्त समय पर होने की उम्मीद कर रहे हैं।” दोनों के बीच में सामान इकट्ठा करने के लिए सामान्य बनाने की राह पर दोबारा पूछताछ के लिए जाएं। उन्होंने कहा, ”जैसा कि आप सभी जानते हैं, यह बैठक सैनिकों को पीछे हटाने और हटाने पर सहमति और 2020 में भारत-चीन सीमा में ज्वालामुखी के समाधान का प्रयास तुरंत बाद हुआ है।” उन्होंने कहा, ” ”स्वतंत्रता के रूप में, दोनों नेताओं ने पिछले कई स्मारकों से हो रही निरंतर बातचीत के जरिए दोनों सितारों के बीच एकांकी का स्वागत किया।” समीक्षा की और उनका मानना है कि दोनों देशों के बीच स्थिर संबंध का क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मिस्री ने कहा कि मोदी और शी, दोनों ने इस बात पर जोर देकर कहा कि एक-दूसरे का सम्मान कर भारत और चीन के बीच स्थायित्व और स्थिर संबंध हो सकते हैं।
भारत-चीन के बीच अग्रगामी ग्रामीण संवाद
मिस्त्री ने कहा कि अधिकारी अब आधिकारिक वार्ता तंत्र का उपयोग करके पत्रिका संवाद बढ़ाएं और डाउनलोड को स्थिर करने पर चर्चा करने के लिए अगला कदम उठाएंगे। जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण भूकंप के बाद दोनों एशियाई देशों के बीच संबंध हो गए थे। सोमवार को, भारत और चीन ने एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर सैनिकों को पीछे हटाने के लिए एक समझौता किया, जो चार साल से अधिक समय से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है। बैठक में, प्रारंभिक भाषण में मोदी ने कहा कि भारत-चीन संबंध केवल दोनों देशों के लोगों के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और प्रगति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, ”हम सीमा पर पिछले चार वर्षों में बनी मोटसाइकिल पर आम सहमति का स्वागत करते हैं।” सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता बनाए रखना चाहिए।
दोनों देशों के अनुयायियों पर दूसरे देशों की नजर
मोदी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि हम खुले दिमाग से बात करेंगे और हमारी रुचि रखेंगे। उन्होंने कहा, ”आइनो डिटेक्शन के लिए अधिक संवाद और सहयोग करना, अपनी समानताएं और टिप्पणियां से ठीक से ठीक करना और एक-दूसरे के विकास प्रयासों को पूरा करने में सहायता करना महत्वपूर्ण है।” इस प्रश्न का उत्तर देता है कि क्या अवशेष और सैनिकों को पीछे हटने के एक्जेक्ट में देपसांग और डेमचोक के मुद्दे में शामिल होंगे, मिस्री ने संकेत दिया कि मराठों वाले ये दोनों जगहें एक्सट्रैक्ट का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, ”पिछले 48 से 72 घंटों में मैंने जो बयान दिए हैं, मुझे लगता है कि उत्तर बिल्कुल स्पष्ट है।” मिस्री ने विशेष संवाद तंत्र के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, ”दोनों नेताओं ने इस बात पर गर्व किया है कि भारत-चीन सीमा मुद्दे पर विशेष उद्यमों को मुद्दे के समाधान और रेखा में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।”
अजित डोभाल और वांग यी अगली बैठकों का नेतृत्व करेंगे
भारत-चीन के बीच बातचीत जारी रखने के लिए भारत के विशेष प्रतिनिधि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (सूए) अजीत डोभाल हैं, जबकि चीनी पक्ष के नेतृत्व वाले विदेश मंत्री वांग यी कर रहे हैं। मिस्री ने कहा, ”दिसंबर 2019 के बाद से विशेष निर्माण सामग्री में कोई बातचीत आयोजित नहीं की गई है। इसलिए आज की बैठक के बाद हम विशेष वार्ता की अगली तारीख तय करने की उम्मीद करते हैं।” मंत्रालय विदेश ने मोदी-शी वार्ता पर एक बयान जारी किया। बयान में कहा गया है, ”भारत-चीन सीमा में 2020 में उभरे हुए स्मारकों के पूर्ण समाधान और सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के लिए हाल ही में एकांकी के रूप में स्वागत किया गया, प्रधानमंत्री मोदी ने दिग्गजों और बाजारों से बेजोड़ के रूप में स्वागत किया। ”(भाषा)
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