बांग्लादेश इस वक्त बड़े पैमाने पर राजनीतिक हिंसा से जुड़ा हुआ है। अब तक मिले अपडेट के मुताबिक, स्थिर देश के आवास में घुसे हुए हैं। दस्तावेज में दी गई जानकारी में बताया गया है कि शेख हसीना ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश को भी छोड़ दिया। यह घटना बांग्लादेश में साल 1975 में घटी घटना की याद ताज़ा कर दी है। जब शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई थी और हसीना को भारत में शरण ली गई थी। आइए जानते हैं ये पूरा किस्सा।
15 अगस्त 1975 को पूरे परिवार की हत्या हुई
बांग्लादेश की आज़ादी के बाद शेख मुजीबुर रहमान प्रधानमंत्री बने थे। हालाँकि, साल 1975 में आर्मी वनमैन ने अपना विद्रोह कर दिया था। सेना के अधिकारियों ने मुजीबुर रहमान के साथ मिलकर उनके परिवार के 18 लोगों की हत्या कर दी थी। इसके बाद बांग्लादेश में भारी राजनीतिक उथल-पुथल मच गई और अगले कई वर्षों तक देश में सैन्य शासन रहा।
शेख़ हसीना की जान कैसे बची?
असल में, शेख मुजीबुर रहमान की हत्या से 15 दिन पहले शेख हसीना और उनके रिश्ते में देश खत्म हो गया था। ख़ुशना जर्मनी में अपने पति एम वाजेद मिया के साथ थी। उनके पति-पत्नी परमाणु वैज्ञानिक थे और सिलिकॉन के बाद शोध कर रहे थे। वहीं, उन्हें पूरे परिवार की हत्या के बारे में जानकारी मिली थी।
भारत ने दी थी शरण
शेख़ हसीना के पूरे परिवार की हत्या के बाद भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें भारत सुरक्षा और शरण का भरोसा दिया था। इसके बाद शेख़ ख़ुशना परिवार के साथ नई दिल्ली सुपर किंग्स। हसीना के परिवार को किसी भी खतरे से बचाने के लिए कड़ी सुरक्षा रखी गई थी। उन्हें दिल्ली पंडारा रोड पर घर दिया गया। उनकी पत्नी भी खूबसूरत के साथ ही रह रही हैं। करीब 6 साल तक भारत में रहने के बाद साल 1981 में शेख हसीना बांग्लादेश चली गईं।
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