वियन्तियानः कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लाओस में पीएम मोदी से मुलाकात की। दस्तावेज़ के अनुसार इस दौरान कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा पूर्व राष्ट्रपति के साथ संबंध में कोई ठोस चर्चा नहीं हुई। बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात लाओस में एशियाई शिखर सम्मेलन के आयोजन पर हुई।
हालाँकि कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी (सीबीसी न्यूज) का दावा है कि ट्रूडो ने “संक्षिप्त भागीदारी-निर्माता” के रूप में बैठक की। सीबीसी न्यूज ने ट्रूडो के समझौते से दावा करते हुए कहा, “इस बात पर जोर दिया कि हमें कुछ काम करने की जरूरत है।” इस बारे में विस्तार से नहीं बताया गया है कि हमने किस बारे में बात की है, लेकिन जो मैंने कई बार कहा है कि कनाडाई लोगों की सुरक्षा और कानून का शासन बनाए रखना किसी भी कनाडाई सरकार के मूल सिद्धांतों में से एक है और मैं इसी तरह पर अनअन्टलाइन। ट्रूडो ने यह बात वियानटियाने में एक पत्रकार सम्मेलन में कही।
दोनों नेताओं में नहीं हुई ‘कोई ठोस चर्चा’
इंडिया टीवी के दस्तावेज़ में दावा किया गया है कि “इस मुलाकात के दौरान वियानतियाने में दोनों नेताओं के बीच कोई ठोस चर्चा नहीं हुई।” “भारत ने इस दौरान यह आशा व्यक्त की कि कैनेडियन की धरती पर भारत विरोधी कालिस्तानी आधिपत्य को अनुमति नहीं दी जाएगी और कैनेडियन क्षेत्र से भारत में होने वाली हिंसा, उग्रवाद और उग्रवाद के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, अब तक कमी है भारत ने कहा कि “संगठित अपराध, खेती सिंडिकेट और मानवता के साथ ऐसी ताकतों की जनसंख्या संतगांठ कनाडा के लिए भी चिंता का विषय होना चाहिए।” भारत ने कहा कि वह कैनेडियन के साथ समर्थन को महत्वपूर्ण बनाता है, लेकिन तब तक सुधार नहीं किया जा सकता जब तक कि कैनेडियन सरकार सक्रिय रूप से काम करने वालों पर प्रतिबंध और उचित कार्रवाई नहीं करती।
कनाडा में भारत विरोधी साजिश
भारत की ओर से लगातार कहा जा रहा है कि कनाडा की धरती पर भारत में विरोध को बढ़ावा और नफरत, दुष्प्रचार, सांप्रदायिक वैमनस्य और हिंसा को बढ़ावा देने की साजिश रची जा रही है।” मगर कनाडा इस पर ठोस कार्रवाई से बचता जा रहा है। 18 जून, 2023 को एक गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद ट्रूडो ने भारतीय गुट के “संभावित” शहर का आरोप लगाया था। हालाँकि भारत ने 2020 में ही निज्जर को अपराधी घोषित कर दिया था। मगर ट्रूडो ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की। भारत ने ट्रूडो के आरोप को “बेटुका” और “आध्यात्मिक” दृढ़ता से खारिज कर दिया था।