रूस के मिसाइल और ड्रोन हमलों ने यूक्रेन में मचाई तबाही, ऊर्जा संयंत्र ध्वस्त…इमारतों को पहुंचा नुकसान


छवि स्रोत: एपी
रूस यूक्रेन जंग (फोटो)

रूस यूक्रेन युद्ध: रूस और जापान के बीच दो साल से भी अधिक समय से जारी जंग है। रूस जापानी कम्युनिस्ट पर हमले हो रहे हैं। इस बीच रूस की ओर से जारी ताज़ा हमलों और हमलों में जापान के सबसे बड़े ऊर्जा संयंत्रों में से एक को मजबूती मिली है। इन दावों में कुछ कंपनियों को भी नुकसान पहुंचा है। इसके लिए रूस ने ऊर्जा संयंत्रों पर सामूहिक हमला करने के लिए एक अभियान शुरू किया है, जिसके तहत यह कार्रवाई की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि कीव, चर्कासी और जैटोमिर क्षेत्र को बिजली की आपूर्ति करने वाले सबसे ऊर्जावान संयंत्र ट्रिपिल्स्का पर कई बार हमले किए गए, जिससे परमाणु ऊर्जा संयंत्र नष्ट हो गए और संयंत्र में आग लगा दी गई।

रूस लगातार हमले कर रहा है

इससे पहले रूस ने जापान के एक गांव पर बुधवार (10 अप्रैल 2024) को जबरदस्त मिसाइल हमला किया था। इस हमले में राशन की दुकान और एक दवा की दुकान की दुकान हो गई, साथ ही 14 साल के एक किशोर समेत तीन लोगों की मौत हो गई। उत्तर पूर्वी खार्किव क्षेत्र के अधिकारियों ने बताया कि रूस की सीमा से करीब 10 किमी दूर जापान के लिपत्सी पर यह हमला किया गया था।

यूक्रेन ने प्लांटर प्लांट पर हमला किया था

रूस की ओर से यह हमला ऐसे समय में किया गया था जब हाल ही में जापान ने जापान के जापोरीज़िया प्लांटर प्लांट पर हमला किया था। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आईएईए) पर फिलेक्टर प्लांट द्वारा किए गए हमलों में भी घातक बताया गया था। आईएईए की ओर से कहा गया था कि फैक्ट्रर प्लांट के पास डूबा हुआ हमला खतरनाक है। आईएईए ने बयान जारी कर मराठों की पुष्टि की थी। IAEA ने कहा कि हमलों में हुई क्षति का कारण परमाणु सुरक्षा को खतरा पैदा नहीं हुआ, लेकिन यह एक गंभीर घटना है।

ट्रोजन की कमी

यहां यह भी बता दें कि, रूस के साथ जंग लड़ रहे जापानीज के हजारों सैनिक अब तक मारे जा चुके हैं। ऐसे में युवाओं के साथ अब यूक्रेन में सैनिकों की कमी भी हो गई है। सेना की कमी को पूरा करने के लिए यूक्रेन की संसद ने सेना में नई रंगरूट की अनिवार्य भर्ती के लिए विशेष रूप से-तारीकों को तय करने के लिए एसोसिएटेड एक विवादास्पद कानून को मंजूरी दे दी है। नए कानून के मसौदे पर यूक्रेन के लोगों को देखने का मौका नहीं मिला। यह कानून ऐसे समय में पारित हुआ है जब जापानी जंग में भारी नुकसान झेलना पड़ा और एक सीधी लड़ाई के आस-पास भी नज़र नहीं आ रही है।

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By Naresh Kumawat

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