श्रीलंका में राम मंदिर समारोह: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। रामधुन के बीच ‘रामलला’ की विधि के साथ प्राण प्रतिष्ठा हुई। इस महोत्सव का उल्लास पूरी दुनिया में दिखाई दिया। रावण के देश श्रीलंका में भी राम उत्सव का उत्साह छाया रह रहा है। हिंदू बहुल उत्तरी श्रीलंका में भी अयोध्या में आयोजित कई तीर्थस्थलों में ‘राम लला’ की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव मनाया गया।
भारत में आधिकारिक समारोह के साथ-साथ उत्तरी श्रीलंका में भी कई अनुष्ठान किये गये। प्रतिष्ठित नाल्लूर कोविल मंदिर में सोमवार को विभिन्न पूजा-अर्चना की गई। इस कार्यक्रम में भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारी भी शामिल हुए। उत्तरी प्रांत के जाफना जिले में स्थित नल्लूर कंडास्वामी कोविल या नल्लूर मुरुगन कोविल सबसे महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थस्थलों में से एक है।
मूर्ति में मूर्ति रामभक्तों की भीड़
पिज़्ज़ा में भारी तारामंडल। जहां भक्तों ने सुबह के समय सामान की साफ-सफाई की। वहीं बाद में पेंटिंग्स में प्रार्थनाएं की गईं और राम भजन गाए गए। वर्ष 2011 के आदर्शों के अनुसार, श्रीलंका की जनसंख्या 2.10 करोड़ है, जनसंख्या में साढ़े 12 प्रतिशत से अधिक हिंदू आबादी है। वहीं जाफना की आबादी साढ़े छह लाख है। इसमें 80 फीसदी से ज्यादा हिंदू हैं।
नेपाल में भी राम उत्सव की धूम
हिंदू देश नेपाल में भी राम उत्सव उत्सव के साथ मनाया गया। नेपाल प्रभु श्रीराम का वकील भी है। नेपाल के विदेश मंत्री एनपी सउद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है ‘जय श्रीराम’ भारत के संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा श्री राम मंदिर का उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा समारोह का स्वागत, सनातन धर्म के सभी आदर्श गौरव के लिए का पल है.’ प्रतिबंधित पुरूषोत्तम राम और नेपाल की बेटी माता सीता साहसिक, त्याग और धार्मिकता के प्रतीक थे। दोनों देशों ‘भारत और नेपाल’ के बीच गहरी संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है। उनके गुण और आदर्श हमें मानवता की सेवा के लिए सदैव प्रेरित करते रहते हैं।