टाटा ग्रुप के सुपरस्टार रतन टाटा की मौत ने पूरे देश को गेम में डुबो दिया है। रतन टाटा के विशेषज्ञ एक बिजनेसमैन से परे रही। बड़े दिल वाले रतन ताना एक विजन के साथ गए और उन्होंने अपनी लाइफ को एक मिशन में शामिल किया। देश के हर घर में रतन टाटा, टाटा ग्रुप के जरिए किसी न किसी तरह का समाए होते हैं। रतन टाटा ने हर क्षेत्र का अन्वेषण किया। देश के सबसे बड़े कांगलोमरेट के शतरंज ने अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग पैमाने तय किए और सफलता भी हाथ लगी। अगर वो किसी क्षेत्र को अपना नहीं बना सका तो वो सिर्फ फिल्म उद्योग है। जी हां, उनका इस क्षेत्र में भी हाथ ठीक था, लेकिन उनके हाथ में कोई खास सफलता नहीं थी। अगर आप सोच रहे हैं कि रतन ताना के कलाकार बने हैं या फिल्म की कहानी का लेखन किया है तो ऐसा नहीं है, उन्होंने पैसे कमाने के लिए फिल्म बनाई, यानी उनकी भूमिका एक दिशा की रही।
ये थी इकलौती फिल्म
रतन टाटा ने परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में कदम रखने की कोशिश की लेकिन उनकी पहली कोशिश नाकाम साबित हुई। इसके बाद ही उन्होंने फिल्मों से तौबा कर ली और इसे टेढ़ी खीर भी मानी। रतन टाटा की निर्मित इकलौती फिल्म ‘एतबार’ है, जो 2004 में सुपरस्टार रिलीज हुई थी। इस फिल्म को रतन टाटा ने जितिन कुमार, प्रशांत भधा और मंदीप सिंह के साथ मिलकर प्रोड्यूस किया था। फिल्म के निर्देशक विक्रम भट्ट ने अभिनय किया और इसमें अमिताभ बच्चन, जॉन अब्राहम, बिपाशा बसु, सुप्रिया पिलगांवकर, अली असगर, टॉम अल्टर और दीपक शिर्के ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फिल्म का म्यूजिक पर काम राजेश रोशन ने किया था।
क्या थी ‘ऐतबार’ की कहानी
‘ऐतबार’ 1996 में रिलीज हुई अमेरिकी फिल्म ‘फियर’ का रूपांतर था। ‘फियर’ का सबसे पहले एक हिंदी रूपांतरण भी बना था, जिसका नाम ‘इंतेहा’ है। खास बात ये है कि इस फिल्म को भी विक्रम भट्ट ने ही निर्देशित किया था बात। ये फिल्म सिर्फ तीन महीने पहले अक्टूबर 2003 में रिलीज हुई थी। ‘ऐतबार’ की कहानी एक बाप डॉ. ऋचा (अमिताभ बच्चन) की है, जो अपने बेटे रोहित को अलविदा कहती है, उनकी बेटी रिया (बिपाशा बसु) को लेकर बेहद संवेदनशील है। वो अपनी बेटी को पेजसिव और अनप्रेडिक्ट टेबल बॉय आर्यन (जॉन अब्राहम) के साथ रिलेशनशिप में रहने से रोकने की कोशिश में लगा था, लेकिन बेटी ने उसे डेट करने के लिए मजबूर कर दिया।
फ्लॉप हुई थी फिल्म
23 जनवरी 2004 को रिलीज हुई इस फिल्म ‘ऐतबार’ के बॉक्स ऑफिस फैसले की बात करें तो यह फिल्म फ्लॉप रही थी। फिल्म की लागत पर पैसा भी नहीं वसूला जा सका। 9.30 करोड़ रुपये में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 7.96 करोड़ का ही कलेक्शन किया था। यह फिल्म ज़ालिम फेलियर साबित हुई और यही वजह बनी कि रतन टाटा फिर कभी किसी फिल्म में पैसा नहीं।