माले: भारत के राष्ट्रपति बने मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के साथ रिश्ते को काफी खराब कर दिया था। जबकि प्रोजेक्ट के विकास में भारत स्टेप-कदम का साथी बना हुआ है। भारत ने विज्ञापन के विकास के लिए अरबों डॉलर का अनुदान भी दिया था। फिर भी मुइज्जू ने अपने देश में भारत के खिलाफ़ मोरचा बनाने का प्रयास किया। मगर जब इंडियन ने इलेक्ट्रॉनिक्स का बायकॉट किया और वहां की इंडस्ट्री डगमगाने लगी तो मोहम्मद मुइज्जू को भारत की ही शरण में लौटा दिया। अब लोकतंत्र के राष्ट्रपति भारत की महिमा नहीं थकाते। बांग्लादेश को भारत से खरीदने का महत्व जल्द ही समझ में आ गया, लेकिन अब पड़ोसी बांग्लादेश के कार्यकारी मोहम्मद यूनुस भी भारत के बिगुल बजा रहे हैं।
विशेषज्ञ का कहना है कि भारत ने बांग्लादेश की स्थापना से लेकर अब तक के विकास का सारथी जारी रखा है। बांग्लादेश के निर्माण में भारत का सबसे बड़ा योगदान है। इसके बावजूद भारत के एहसान ने बांग्लादेश को भूल चुकाई है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ आपाधापी के बाद से ही बांग्लादेश में कार्यवाहक सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस भारत के जहर उगल रहे हैं। बांग्लादेश में वह आतंकवादियों पर हमले के लिए आतंकवादियों का समर्थन कर रहे हैं। इनमें से एक विद्रोही पर अत्याचार और जुल्म की सारी हदें पार हो गईं। मगर विशेषज्ञ को उम्मीद है कि मोहम्मद यूनुस के जज्बात भी जल्द ही लग जाएंगे। एक दिन उन्हें भी बाजार की तरह भारत के साथ होने का महत्व समझ आये।
मुइज्जू ने भारत के साथ खरीदारी की
यहां के प्रेसिडेंट मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के साथ-साथ सुपरमार्केट की भी खरीदारी की। उन्होंने कहा कि भारत के उच्चायुक्त मुनु महावर का लक्ष्य मिशन में शामिल होना है और उनके कार्यकाल के दौरान दोनों देशों के बीच मैत्री और उद्योग सहयोग में नई ऊर्जा आई है। महावर उद्यम के लिए राष्ट्रपति मुइज्जू अमेरिका जा रहे हैं और इस दौरान राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए उच्चायुक्त के पद की नियुक्ति की है। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, उच्चायुक्त ने भारत के विकास में सहयोग के लिए राष्ट्रपति मुइज्जू के नेतृत्व और सहयोगी सैद्धांतिक दृष्टिकोण की सलाह दी। (भाषा)