बांग्लादेश में फिर से राजनीतिक उथल-पुथल शुरू, छात्र संगठन ने की राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग


छवि स्रोत: पीटीआई
बांग्लादेश में फिर से राजनीतिक उथल-पुथल शुरू

बांग्लादेश इन दिनों तनाव के दौर से गुजर रहा है। डेज़ डेज़ शेख़ हसीना को पद से हटाने के बाद बांग्लादेश में दोस्ती के ख़िलाफ़ काफ़ी हिंसा देखने को मिली। इस बीच बांग्लादेश में बुधवार को राजनीतिक तनाव फिर से बढ़ गया, जब एक प्रमुख छात्र समूह ने देश के नाममात्र के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से रिहाई की मांग की। असल में ऐसा कहा जा रहा है कि उनके द्वारा बनाए गए कुछ ऐसे मॉल, जो अगस्त महीने में पूर्व राष्ट्रपति शेख हसीना के कब्जे को लेकर सवाल उठाते थे, उसमें शामिल हैं। अंतरिम सरकार गुरुवार को इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सचिवालय की बैठक आयोजित करने जा रही है।

बांग्लादेश में फिर राजनीतिक खुलासा-अंग्रेज़ी शुरू

‘भेदभाव विरोध छात्र आंदोलन’ के नाम से पहचाने जाने वाले छात्र समूह ने राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को पद छोड़ने के लिए दो दिन की समय सीमा तय की है। मंगलवार को राजधानी ढाका में सैकड़ों समर्थकों ने रैली निकाली, जबकि सैकड़ों अन्य ने राष्ट्रपति भवन बंगभवान धावा बोलने का प्रयास किया। बता दें कि नया राजनीतिक उथल-पुथल तब शुरू हुआ जब शहाबुद्दीन ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक बंगाली भाषा के अखबार से कहा कि उन्होंने हसीना का त्याग पत्र नहीं देखा है, क्योंकि वह अगस्त में छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह के बीच भारत से अलग हो गए थे। क्या। 5 अगस्त को हसीना के पद छोड़ने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अस्थायी सरकार ने बांग्लादेश की सत्य शक्ति और सरकार बनाई थी।

छात्र संगठन ने राष्ट्रपति पद की बहाली की मांग की

शहाबुद्दीन ने मनब ग्राउंड डेली पेपर को दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने सिर्फ हसीना की मौत के बारे में सुना है लेकिन हकीकत का खत नहीं देखा है। एक बयान में यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार और छात्र संकाय को नाराज कर दिया गया, जिससे उन्हें अपनी बर्बादी की मांग करने के लिए प्रेरित किया गया। इसके अलावा पूर्व शहाबुद्दीन ने 5 अगस्त को राष्ट्र के नाम पर अपनी पहली किताब में कहा था कि हसीना राष्ट्रपति ने अपना त्यागपत्र त्याग दिया है और उन्हें प्राप्त हो गया है। बांग्लादेश के संविधान के अनुसार, मजहबी प्रधानमंत्री को अपना त्यागपत्र लिखित रूप से राष्ट्रभक्ति को पुनः प्राप्त करना होता है।

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By Naresh Kumawat

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