ढाका: बांग्लादेश ने अपना एक ताजा जजमेंट से भारत के साथ दुश्मनी और बढ़ा ली है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने रविवार को भारत में 50 न्यायाधीशों और लोकतांत्रिक अधिकारियों के प्रस्तावित प्रशिक्षण कार्यक्रम को रद्द कर दिया। इससे दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। बांग्लादेश के विधि मंत्रालय के प्रवक्ता ने विस्तृत विवरण दिए बिना बताया, ”अधिसूचना रद्द कर दी गई है।”
समाचार पत्र ‘डेली स्टार’ की खबर के अनुसार बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार यह निर्णय लिया गया है। सरकारी बांग्लादेश सांबाद संस्था ने एक दिन पहले यह खबर दी थी कि जिसमें कहा गया था कि 10 फरवरी को मध्य प्रदेश में नेशनल डेमोकेट्री एकेडमी और स्टेट मेजरिटी एकेडमी में एक दिव्य प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया जाएगा। कार्यक्रम के एवं अंतर्गत वरिष्ठ सहायक न्यायाधीशों में जिला सत्र न्यायाधीश या समकक्ष अधिकारी, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, संयुक्त जिला न्यायाधीश, वरिष्ठ सहायक न्यायाधीश और सहायक न्यायाधीश शामिल थे।
भारत सरकार ने शुरू किया था कार्यक्रम का पूरा खर्च
भारत सरकार को प्रशिक्षण कार्यक्रम का सारा खर्च वहन करना था। भारत और बांग्लादेश के बीच तब से अंतिम संबंध रहे हैं, जब आपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना पिछले साल पांच अगस्त को छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर आंदोलन के बाद नई दिल्ली चले गए थे, जिससे उनकी अवामी लीग की 16 साल लंबी सरकार गिर गई थी था। आठ अगस्त को मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की सत्ता में आने के बाद हिंदू समुदाय के सदस्यों और उनके पूजा स्थलों पर लगातार हमले हुए। भारत ने सबसे पहले इन दावों के संबंध में बांग्लादेश के साथ चिंता व्यक्त की है, खासकर तब जब पिछले महीने एक हिंदू संत को राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया था। (भाषा)