काठमांडू: नेपाल में ताजा घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। नेपाल की सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस और सीपीआईएन-यू के बीच समझौता हो गया है। इस बीच नई गठबंधन सरकार बनाने के लिए सहमति बनने के दौरान प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने पद से इस्तीफा देने का फैसला नहीं किया है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के सचिव गणेश शाह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को लेकर कहा कि पार्टी पदाधिकारी की मंगलवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई बैठक में प्रचंड ने कहा कि वह पद से इस्तीफा देने के बजाय संसद में विश्वास मत का सामना करना पसंद करेंगे। विल।
पीएम ने विश्वास मत हासिल करने का फैसला किया
गणेश शाह ने कहा, ”प्रधानमंत्री प्रचंड ने विश्वास मत का सामना करने का फैसला किया है।” प्रधानमंत्री प्रचंड (69) ने अपने प्रथम वर्ष के कार्यकाल के दौरान संसद में तीन बार विश्वास मत हासिल किया है। यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब नेपाल के दो सबसे बड़े दलों नेपाली कांग्रेस और सीपीआईएन-यू ने प्रधानमंत्री प्रचंड को सत्ता से बेदखल करने के लिए एक नई ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार’ बनाने के वास्ते आधी रात को एक समझौता किया।
क्या कहते हैं आंकड़े
नेपाल के प्रतिनिधि सदन में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास 89 सीटें हैं, जबकि सीपीआईएन-यू के पास 78 सीटें हैं। दोनों दलों की संयुक्त संख्या 167 है जो 275 सदन में बहुमत के 138 सीटों के आंकड़े के लिए पर्याप्त है।
क्या है समझौता
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी संयुक्त मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीआइएन-यू सर्वोपरि) के अध्यक्ष एवं पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नई गठबंधन सरकार बनाने के लिए सोमवार को समझौते पर हस्ताक्षर किए। देउबा (78) और ओली (72) संसद के शेष कार्यकाल के लिए बारी-बारी से प्रधानमंत्री पद साझा करने पर सहमत हुए हैं। इस बीच, मूल ने बताया कि मौजूदा गठबंधन को बचाने के लिए प्रधानमंत्री प्रचंड और सीपीआईएन-यू के सर्वोच्च नेता ओली के बीच वार्ता विफल हो गई है। (भाषा)
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