नाइजीरिया मुस्लिम देश है या ईसाई, दोनों धर्मों के बीच क्यों रहता है विवाद?


नाइजीरिया में धार्मिक तनाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त अफ्रीकी देश नाइजीरिया के दौरे पर हैं। वह रविवार को नाइजीरिया की राजधानी अबुजा क्षेत्र और अपनी तीन दिवसीय यात्रा की शुरुआत करेंगे। पहली बार यहाँ। 17 वर्ष पूर्व किसी भारतीय प्रधानमंत्री का यह पहला नाइजीरिया दौरा है। नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू ने अबुजा एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। फेडरल कैपिटल टेरिटरी के मंत्री नायसोम एजेनवो विके ने प्रधानमंत्री मोदी को अबुजा शहर की ‘शहर की कुंजी’ की उपाधि दी। ऐसे में आइए जानते हैं कि नाइजीरिया मुस्लिम देश है या ईसाई बहुल और इन दोनों धर्मों के लोगों के बीच तनाव क्यों रहता है?

नागालैंड की जनसंख्या कितनी है?

अफ़्रीका महाद्वीप के पश्चिम में स्थित नाइजीरिया का पूरा नाम नाइजीरिया गणराज्य है। यह अफ्रीका का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। इसकी जनसंख्या भारत के राज्य उत्तर प्रदेश से भी कम है। यूपी की जनसंख्या 24 करोड़ है तो नाइजीरिया की जनसंख्या 23 करोड़ है। अफ्रीका की तीसरी सबसे लंबी नदी का नाम नाइजीरिया है। इसकी सबसे बड़ी प्रजाति यह है कि यहां दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम और ईसाई आबादी एक साथ रहती है। यहां दोनों की आबादी करीब-करीब आधी है। यहां की कुल आबादी में मुस्लिम करीब 51.1 और ईसाई करीब 46.9 धार्मिक हैं।

दो आदर्शों में बंटा नाइजीरिया क्या है?

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नाइजीरिया में दो विचारधाराएं हैं। इसके उत्तरी हिस्सों में आदिवासियों की आबादी सबसे ज्यादा है, लेकिन वहां गरीबी भी सबसे ज्यादा है। दक्षिणी और पूर्वी नाइजीरिया में ईसाइयों की आबादी अधिक है और क्षेत्र में व्यापारी अधिक हैं। उत्तरी नाइजीरिया में इस्लाम की जड़ें 11वीं शताब्दी से प्रकट होती हैं। यह धर्म पहली बार बोर्नो में दिखा था, नाइजीरिया के उत्तरी क्षेत्र में मुस्लिम आबादी बहुतायत में है। वहीं, दक्षिणी नाइजीरिया में ईसाई मिशनरी का प्रभावशाली रूप में काम वर्ष 1842 में आस-पास योरूबालैंड में शुरू हुआ था। इसी वजह से दक्षिणी नाइजीरिया में ईसाई आबादी सबसे ज्यादा है। पश्चिमी नाइजीरिया में भी ईसाई धर्म ने पश्चिमी शिक्षा की स्थापना के लिए मंच तैयार किया। वहीं, उत्तरी नाइजीरिया के कई इलाकों में यह पूरी तरह से विफल हो रहा है। उत्तरी क्षेत्र में पश्चिमी शिक्षा को ईसाई धर्म के बराबर माना जाता है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू

छवि स्रोत: पीटीआई

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू

दोनों धर्मों के बीच तनाव की स्थिति?

नाइजीरिया में मुस्लिम और ईसाई धर्म के लोगों के बीच तनाव का एक गंभीर दौर जारी है। धार्मिक तनाव बढ़ाने वाले कई कारण भी सामने आते हैं। वहां इस्लाम ईसाई और धर्म के लोगों के बीच जगह के लिए शॉपिंग मॉल ही रहता है। यह धारणा लोगों के मन में घर कर गई है कि नाइजीरिया के नेता अपने धर्म और आस्था को बढ़ावा देने के लिए राज्य का प्रयोग करते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि वहां अल्पसंख्यकों की भावनाओं का ध्यान नहीं रखा जाता और उनकी प्रति असंवेदनशीलता की संस्कृति है। असल में ईसाइयों के सख्त विरोध के बावजूद उत्तरी नाइजीरिया के कई राज्यों ने इस्लामिक शरिया कानून को अपना लिया है। इसकी वजह से भी दोनों समुदायों के बीच विवाद और उत्पाद हो गए हैं।

नाइजीरिया में दोनों ही धर्मों ने स्थानीय लोगों की शिक्षा, संस्कृति, राजनीति और सामाजिक जीवन के कई सिद्धांतों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। धर्म वैसे भी लोगों की पहचान का एक हिस्सा माना जाता है। ऐसे में किसी की धार्मिक व्याख्या के लिए किसी को भी खतरा माना जाता है, इसलिए हम कह सकते हैं कि इन दोनों धर्मों के बीच की वास्तविक लड़ाई अपने-अपने धर्मों को बचाने के लिए है।

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By Naresh Kumawat

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