जानें कौन हैं लिसा नंदी, जिन्हें ब्रिटिश PM कियर स्टारमर ने दी अपनी कैबिनेट में जगह


छवि स्रोत : REUTERS
ब्रिटेन की नई संस्कृति, मीडिया एवं खेल मंत्री लिसा नंदी।

लंदन: ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री कियर स्टारर ने शुक्रवार को अपनी कैबिनेट का ऐलान कर दिया। स्टारर की कैबिनेट में भारतीय मूल की एक महिला नेता को भी अहम मंत्रालय मिला है। उत्तर-पश्चिमी इंग्लैंड के विगन संसदीय क्षेत्र से भारी अंतर के साथ पुनर्निर्वाचित होने वाली भारतीय मूल की लिसा नंदी को प्रधानमंत्री कियार स्टारमर ने संस्कृति, मीडिया और खेल मंत्री नियुक्त किया। चुनाव में लेबर पार्टी की शानदार जीत के बाद स्टारर ने तुरंत अपने मंत्रिमंडल की घोषणा करते हुए नई सरकार की शुरुआत कर दी।

कभी स्टारमर की प्रतिद्वन्द्वी थी लिसा

बता दें कि लिसा जनवरी 2020 में लेबर पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में अंतिम 3 आवेदकों में से एक थीं, जहां उनका सामना स्टारमर और एक अन्य उम्मीदवार से था। लिसा तब से स्टॉर्मर की अध्यक्षता में काम कर रही हैं। बता दें कि लिसा नंदी के पिता दीपक नंदी अंग्रेजी साहित्यकार में जाना-माना नाम रखते हैं और वह 1956 में ब्रिटेन चले गए थे। वहीं, नंदी के नाना फ्रैंक बायर्स लिबरल पार्टी से सांसद रह चुके थे। लिसा, ऋषि सुनक के नेतृत्व वाले कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार में संस्कृति मंत्रालय का कार्यभार संभाल रही लूसी फ्रेजर की जगह लेंगी।

लंदन यूनिवर्सिटी से ली गई है मास्टर्स डिग्री

लिसा नंदी की स्कूलिंग पार्स वुड हाई स्कूल और होली क्रॉस कॉलेज में हुई है। इसके बाद उन्होंने 2001 में न्यूकासल विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। लिसा के पास एक मास्टर्स डिग्री भी है जो उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से ली है। लिसा ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में लेबर पार्टी के सांसद नील गेरार्ड के साथ भी काम किया है। लिसा ने अशांति के मुद्दे पर भी अच्छा काम किया है और वह इंग्लैंड के बाल आयोग की आयुक्त और विकलांग आयोग में सलाहकार की भूमिका भी निभाई हैं।

ऋषि सुनक की पार्टी को मिली करारी हार

बता दें कि ब्रिटेन के संसदीय चुनावों में ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। ऋषि सुनक ने भले ही अपना चुनाव आसानी से जीत लिया, लेकिन उनके कई मंत्रिमंडल चुनाव हार गए। यहां तक ​​कि पूर्व प्रधानमंत्री लिस ट्रस भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। लेबर पार्टी ने इन चुनावों में प्रचंड जीत हासिल करते हुए 650 में से 411 सीटों पर कब्जा जमा लिया। वहीं, पिछले आम चुनाव में 365 वोट हासिल करने वाली कंजर्वेटिव पार्टी इस बार सिर्फ 121 सीटों पर सिमट गई।

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By Naresh Kumawat

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