भारतीय सिनेमा के इतिहास में कई हसीनाएं आईं और चली गईं, कुछ ने लोगों की किस्मत जीत ली, कुछ ने अपने अभिनय शैली से छाप छोड़ी और कुछ ऐसे आर्कियोलॉजिकल आर्किटेक्चर की चर्चा हुई। जैसे-जैसे आपका दौर खत्म हुआ लोग वैसे ही भूल गए या उनका क्रेज कम हो गया, लेकिन बॉलीवुड में एक हीरोइन भी ऐसी थी, जिसे लोग छोड़ गए और दुनिया को छोड़ दिया गया, जिसके बाद भी उनकी विरासत जिंदा है। उनकी फिल्मों ने उन्हें अमर कर दिया और इसी के साथ वो भारत की नंबर 1 स्टार कहलाईं। हम बात कर रहे हैं डांसिंग दीवा श्रीदेवी की। दुनिया को याद करने के बाद भी श्रीदेवी को उनके आइकॉनिक रोल्स याद आ गए। आज एक्ट्रेस की जयंती है और पूरे देश में ये खास चीज़ उन्हें याद आ रही है।
4 साल की उम्र में स्टॉकहोम में अभिनय करने वाले कलाकार
श्रीदेवी किसी भी प्रियच की मोहताज नहीं हैं। उन्होंने अपने करियर में कई साहसी फिल्में लिखीं। कई फिल्में सिर्फ श्रीश्रीमती के नाम पर चलीं। एक्ट्रेस का ऐसा अंदाज कि अच्छे-अच्छे लीड मेल एक्टर्स भी अपनी आगे की कुछ बातों पर कटाक्ष करते थे। ईसाई धर्म की शुरुआत से लेकर अपने अंतिम दौर तक उन्होंने अपने अभिनय के माध्यम से बहुत कुछ हासिल किया। श्रीदेवी का जन्म तमिल के एक छोटे से गांव मीनमपट्टी में 13 अगस्त, 1963 को हुआ था। छोटी सी उम्र में ही श्रीदेवी ने अपने अदाओं का जलवा बनाना शुरू कर दिया था। चार साल की उम्र में ही श्रीश्री ने की थी शुरुआत। इस उम्र में बच्चों को समझ भी नहीं आती।
इस फिल्म की शुरुआत
तमिल फिल्म ‘कंधन करुणई’ से कलाकार के तौर पर अलग-अलग तरह की फिल्म ‘कंधन करुणै’ से श्रीदेवी ने अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद नौ साल की उम्र में ‘रानी मेरा नाम’ से एक बाल कलाकार के रूप में बॉलीवुड में एंट्री की। इसी के साथ उनकी अभिनेत्रियों का दौर शुरू हुआ। एक के बाद एक श्रीदेवी की फिल्में रिलीज हुईं और वो हिंदी सिनेमा में एक नए चैप्टर में शामिल हो गईं। अपने लंबे करियर में उन्होंने बॉलीवुड के हर दिग्गज कलाकार के साथ काम किया। अमिताभ बच्चन, डेमोक्रेट, अनिल कपूर, सनी देवता जैसे कई मेगास्टार भी अपनी कला के मुरीद हैं।
श्रीदेवी और अमिताभ बच्चन।
‘हिम्मतवाला’ से मिली पहचान
हिंदी फिल्मों में सुपरस्टार लीड एक्ट्रेस श्रीदेवी ने साल 1979 में आई फिल्म ‘सोलहवां सावन’ से शुरुआत की। उनकी ये फिल्म न तो चली और न ही पिटी। इसके बाद 1983 में फिल्म ‘हिम्मतवाला’ के जरिए श्रीदेवी ने अपनी किस्मत आजमाई और फिर उनका सपना पंख मिल गया और इसके बाद उन्होंने कभी मुकरकर नहीं देखा। इसके बाद एक से बढ़कर एक हिट फिल्मों का दौर शुरू हुआ। 80 और 90 के दशक में बॉलीवुड में श्रीदेवी का जादू ऐसा था कि न सिर्फ हीरोइन बल्कि हीरो भी उनके आगे डरे हुए थे। बॉलीवुड में ऐसा भी दौर आया जब श्रीमति अपने एक्टर्स से मोटी फीस लेने लगी थीं।
इस फिल्म में आखिरी बार नजरें आईं
श्रीदेवी 1996 में निर्माता बोनी कपूर से शादी की। उनके इस फैसले ने सभी को हैरान कर दिया क्योंकि बोनी पहले तलाकशुदा थे और उनके दो बच्चे भी थे। अपनी लंबी फिल्मी करियर में श्रीदेवी ने 300 फिल्मों में अभिनय किया। आखिरी बार एक्ट्रेस ‘मॉम’ में दिखीं नजर। इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल नाम भी मिला, जिसे लेने के लिए भी एक्ट्रेस इस दुनिया में मौजूद नहीं थीं। फिल्म ‘जीरो’ में भी एक्ट्रेस का कैमियो था, उनके निधन के बाद रिलीज हुई ये फिल्म। 80 और 90 के दशक में अंतिम-निर्देशक श्रीदेवी को हिट मशीन माना गया था। कहा जाता था कि जिस फिल्म में भी वो तगड़ी कमाई करती थी, यही वजह थी कि उन्हें अपने मुंह में पैसे देते थे