इमरान खान के हक में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट का फैसला, अब संसद में सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी PTI; समझें कैसे


छवि स्रोत : फ़ाइल रॉयटर्स
इमरान खान

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। जेल में बंद खान की पार्टी को लेकर पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। इस फैसले के बाद यह होगा कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ 109 सीट के साथ संसद में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला दिया कि यह पार्टी की महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए सीट सुरक्षित करने का पात्र है।

पेशावर उच्च न्यायालय का फैसला रद्द

इमरान खान (71) की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के लिए एक बड़ी कानूनी जीत में प्रधान न्यायाधीश काजी फैज ईसा के नेतृत्व वाली शीर्ष अदालत की 13वीं पूर्ण पीठ ने पेशावर उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया है। पेशावर उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान के निर्वाचित आयोग द्वारा राष्ट्रीय सभा और प्रांतीय विधानसभाओं में सीट सुरक्षित रखने में पार्टी को हिस्सा देने से इनकार करने के कदम को निरंतर रखा। पीठ ने निर्वाचित आयोग के फैसले को भी “अमान्य” घोषित करते हुए इसे “पाकिस्तान के संविधान के खिलाफ” करार दिया।

हो 109 मौतें

‘जियो न्यूज’ की खबर के अनुसार, पीटीआई नेशनल असेंबली में सबसे बड़ी पार्टी उभरेगी क्योंकि 23 सीटें हासिल करने के बाद इसकी सीट 86 से बढ़कर 109 हो गई है। खबर में कहा गया है कि नेशनल असेंबली में विपक्षी गठबंधन की सीट संख्या भी बढ़कर 120 हो जाएगी। वर्तमान में, पीटीआई सहित संयुक्त विपक्ष के 97 सदस्य हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद

बता दें कि, सुरक्षित सीटों को लेकर विवाद तब शुरू हुआ था, जब निर्वाचन आयोग ने सुन्नी इत्तेहाद परिषद की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें पार्टी ने राष्ट्रीय विधानसभा की 70 और चार प्रांतीय विधानसभा की 156 सुरक्षित सीटों में से उसे अपने हिस्से में ले लिया था। पाने का अनुरोध किया गया था। निर्वाचन आयोग ने यह कहते हुए एसआईसी की अर्जी खारिज कर दी थी कि उन्होंने अल्पकालिक पार्टी चुनाव नहीं लड़ा था और उन्हें संख्या बल तब मिला, जब पीटीआई समर्थित विजेता उम्मीदवार उसके साथ आए।

यह भी जानिए

इमरान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने आठ फरवरी को हुए चुनाव को लेकर कोई लड़ाई नहीं लड़ी थी, क्योंकि निर्वाचन आयोग ने अपने अंतर-पार्टी चुनाव को खारिज कर दिया था और उसका चुनाव चिह्न “बल्ला” वापस ले लिया था। पीटीआई महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा कर्मियों पर आवेदक जताने के लिए पात्र नहीं थी। इस सीट पर सदन में श्रेष्ठ प्रतिनिधित्व के आधार पर विजेता को दी जाती हैं। ऐसे में जिन नेताओं ने चुनाव लड़ा था, लेकिन पीटीआई के समर्थन से चुनाव जीता था, उन्हें पीटीआई नेतृत्व ने एसआईसी में शामिल होने का निर्देश दिया था, ताकि पार्टी सुरक्षा पर निर्भर रहती। (भाषा)

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By Naresh Kumawat

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