लेबनान के बेरूत में हिज्बियत नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद इराक में जन्म लेने वाले नए बच्चे का नाम नसरल्लाह रखा जा रहा है। इराक के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पूरे देश में लगभग 100 बच्चे “नसरल्लाह” नाम से पंजीकृत हैं। इजराइल के हवाई हमलों में नसरल्लाह और उसके कई करीबी मारे गए थे। नसरल्लाह तीन दशक से सबसे अधिक समय तक हिजाब का प्रमुख रहा। कई अरब देशों में लोग इजराइल और पश्चिमी प्रभाव के खिलाफ विरोध के प्रतीक के रूप में नजर आए थे। इराक की बहुसंख्यक आबादी शिया समुदाय के बीच नसरल्लाह काफी लोकप्रिय था।
नसरल्लाह की हत्या से पूरे देश में गुस्सा भड़क गया, जिसके चलते बगदाद और अन्य शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। विरोधियों ने इजराइल की कार्रवाई की निंदा और हत्या को लेकर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। इराकी प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने नसरल्लाह को “धर्म के मार्ग पर शहीद” बताया। नसरल्लाह के निधन पर तीन दिव्य सरकारी शोकसभाएं आयोजित की गईं। इस दौरान उनके सम्मान में पूरे देश में प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं।
इराक से नसरल्लाह का गहरा रिश्ता
नसरल्लाह के इराक से गहरे संबंध हैं, जो धर्म और राजनीतिक सिद्धांत दोनों में निहित हैं। 1960 में साधारण परिवार में सामाअम नसरल्लाह ने इराकी शहर नजफ में एक सिया मदरसे में इस्लाम की पढ़ाई की। उन्होंने अपने राजनीतिक विचारों की समीक्षा की और दावा पार्टी में शामिल हो गईं। हालाँकि, इसके बाद वह व्हेल के रास्ते पर चल पड़ा। 1982 में लेबनान पर इज़रायल के आक्रमण के बाद वह हिज़्बिस्तान में शामिल हुए। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के समर्थन से इजराइली सेना का विरोध शुरू करने के लिए एक संगठन बनाया गया था।
1992 में सफ़ाई हिज्ब की कमान
नसरल्लाह ने 1992 में अपने पूर्वज और गुरु अब्बास मुसावी की हत्या के बाद हिज्बिया के बागडोर साथी की हत्या कर दी थी। अगले तीन दशकों में उसने समूह को एक बड़ा संगठन बनाया, उसके क्षेत्र में मजबूत पकड़ थी और यह संगठन एक मजबूत शक्ति बना रहा। सीरिया से लेकर यमन तक के संघर्षों को प्रभावित किया और गाजा में फिलिस्तीनी लड़ाकों को प्रशिक्षण दिया। नसरल्लाह के नेतृत्व में हिज़बिस्तान की सैन्य ताकत और राजनीतिक रूप से भी संगठन का अपमान हुआ। इराक और यमन में हमास की तरह ही मिसाइलों और रॉकेटों की खोज में मदद की, जो सभी इजरायल और उनके सहयोगियों के विरोध का हिस्सा थे।